भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ।

भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर ।

अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला में अच्छी प्रथाओं पर ज्ञान शाला कौशल विकास कार्यक्रम का उदघाटन  ।

बरेली (अनूप कुमार)- भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज़्ज़तनगर के पशु चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी विभाग की ‘बायोएसेज़ और बायोसेंसर पर अनुसंधान और प्रशिक्षण की सुविधा’ में प्रयोगशाला में अच्छी प्रथाओं विषय पर दस दिवसीय ‘ज्ञान शाला’ कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ। उद्घाटन कार्यक्रम में आईवीआरआई के संयुक्त निदेशक (कैडरड) डॉ. केपी सिंह ने महत्वपूर्ण विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. समीर श्रीवास्तव और उनकी टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने शोध में जीएलपी के महत्व पर प्रकाश डाला और छात्रों से आईवीआरआई के संकाय सदस्यों की विशेषज्ञता और प्रतिभा का पूरा लाभ उठाने का आग्रह किया। उन्होने पाठ्यक्रम निदेशक डॉ. समीर श्रीवास्तव और पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. सोनल, डॉ. विक्रमादित्य और डॉ. गौरव शर्मा को बधाई दी तथा मास्टर्स और डॉक्टरेट छात्रों के कौशल विकास के लिए इस नई पहल को शुरू करने के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। पशु चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान वैज्ञानिक और पाठ्यक्रम निदेशक , डॉ. समीर श्रीवास्तव ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और ज्ञान शाला कौशल विकास कार्यक्रम का विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया। उन्होंने इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला और बताया कि सिंथेटिक पेप्टाइड जीव विज्ञान पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम सितम्बर माह में पूरा हो चुका है और जीएलपी पर दूसरा प्रशिक्षण कार्यक्रम 10 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। इस ज्ञान शाला में विभिन्न विषयों के 25 विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। इसके अलावा नवंबर और दिसंबर में कैंसर जीव विज्ञान पर और बायोसेंसर विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम की योजना बनाई गई है, जिसके पाठ्यक्रम सामग्री का फ़्लायर भी जारी किया। संयुक्त निदेशक अनुसंधान डॉ. एसके सिंह ने भी ज्ञान शाला कार्यक्रमों के आयोजन पर संतोष व्यक्त किया और युवाओं के कौशल को बढ़ाने के लिए ऐसे कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आयोजकों के प्रयासों की सराहना की। आईवीआरआई के परीक्षा नियंत्रक डॉ ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों के कौशल को बेहतर बनाने पर बहुत जोर दिया गया है और इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों से निश्चित रूप से छात्रों को विज्ञान के विभिन्न उन्नत क्षेत्रों में नया ज्ञान सीखने में मदद मिलेगी । इस मौके पर सिंथेटिक पेप्टाइड जीव विज्ञान पर ज्ञान शाला कौशल विकास कार्यक्रम के सफल उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सोनल ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ गौरव शर्मा ने दीया। इस कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के विभागध्यक्षों और संकाय सदस्यों ने भाग लिया।

 अनुपूरक बजट- 12 हजार 909 करोड़ से प्रदेश के विकास को लगेंगे पंख

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *