केजीएमयू में जटिल सर्जरी में मिली सफलता, आंत से बनाया गर्भाशय का रास्ता

3
केजीएमयू में जटिल सर्जरी में मिली सफलता, आंत से बनाया गर्भाशय का रास्ता
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

लखनऊ, 1 अक्टूबर (आईएएनएस)। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के क्वीन मेरी अस्पताल में चिकित्सकों की एक टीम ने गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया से पीड़ित एक युवती का सिग्माइड कोलन से सफल वैजिनोप्लेस्टी कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह सर्जरी जटिल जन्मजात विकारों के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखी जा रही है। इसमें आंत का उपयोग कर योनि का रास्ता बनाया गया।

केजीएमयू की टीम ने अपनी इस अद्भुत सर्जिकल दक्षता से भारतीय चिकित्सा क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है। इस सफल ऑपरेशन ने मरीज को गंभीर दर्द से राहत दिलाई है और उसकी मासिक धर्म प्रक्रिया को सामान्य किया।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के क्वीन मेरी अस्पताल में एक महत्वपूर्ण सर्जरी में स्त्री रोग विशेषज्ञों और सर्जनों की टीम ने गर्भाशय ग्रीवा एट्रेसिया (जन्मजात विकार जिसमें योनि और गर्भाशय ग्रीवा अविकसित होती है) का सफल उपचार कर एक नया इतिहास रचा है। इस सर्जरी में सिग्माइड कोलन (बड़ी आंत) से योनि का रास्ता बनाया गया, जिसे सिग्माइड वैजिनोप्लेस्टी कहते हैं।

यह उपलब्धि जन्मजात प्रजनन संबंधी विकारों के उपचार में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। बाराबंकी की 17 वर्षीया अविवाहित क‍िशोरी इस जटिल स्थिति से पीड़ित थी। कई सर्जरी के बावजूद भी उसे आराम नहीं मिल पाया था। गर्भाशय में मासिक धर्म का रक्त जमा हो जाने के कारण उसे अत्यधिक दर्द होता था।

पहले कई चिकित्सकों ने गर्भाशय निकालने की सलाह भी दी थी। केजीएमयू में रेफर किए जाने के बाद डॉ. एसपी जयसवार के नेतृत्व में डॉ. सीमा मेहरोत्रा, डॉ. पीएल संखवार, डॉ. मंजुलता वर्मा, डॉ. श्रुति और बाल चिकित्सा सर्जन डॉ. एसएन कुरील की टीम ने यह जटिल सर्जरी सफलतापूर्वक संपन्न की।

यूपी के दो लड़के अपराधियों के हितैषी बन गए हैं : सुधांशु त्रिवेदी

डॉ. एसएन कुरील ने बताया कि सिग्माइड कोलन का चयन इसलिए किया गया, क्योंकि इसका आकार और ऊतक वैजिनल ऊतकों के समान होते हैं, इससे सर्जरी के परिणाम अधिक प्रभावी होते हैं। यह प्रक्रिया न केवल सौंदर्य की दृष्टि से बल्कि कार्यात्मक रूप से भी सफल रही। केजीएमयू की स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. अंजू अग्रवाल ने इस सफलता को जन्मजात प्रजनन विकारों के इलाज में एक बड़ा कदम बताया है।

–आईएएनएस

विकेटी/सीबीटी