सहकारिता मंत्रालय के द्वारा सहारा निवेशको की भुगतान की हो चुकी है शुरुआत

सहारा एवं सोसाइटीज़ ने निवेशकर्त्ताओं को तथ्यों से अवगत कराया

मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 03ता०बोकारो/रांची। सहारा एवं सोसाइटीज़ ने एक वक्तव्य जारी कर निवेशकर्त्ताओं को अवगत कराया कि झारखण्ड राज्य में 03 सोसाइटी कार्यरत हैं, जिनका नाम सहारा क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, हमारा इंडिया क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड एवं सहारयन यूनिवर्सल मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड है। उक्त तीनों सोसाइटी सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़ कृषि मंत्रालय (वर्तमान में सहकारिता मंत्रालय) भारत सरकार में पंजीकृत हैं। सोसाइटीज़ ने अपने सदस्यों से जमा ली गयी धनराशि को अधिकतम लाभ के उद्देश्य से सहारा ग्रुप की कम्पनियों ऐम्बी वैली लिमिटेड एवं क्विंग ऐम्बी सिटी डेवलपर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (कम्पनी की परियोजनाओं) में मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़ एक्ट 2002 के प्रावधानों तथा सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज नई दिल्ली द्वारा रजिस्टर्ड उक्त सोसाइटी के उपनियमों में प्रदत्त शक्तियों के अनुरूप निवेशित किया है। निवेश प्राप्त कम्पनी सहारा ग्रुप ऑफ कम्पनीज़ की परिधि में आती है उक्त दोनों कम्पनियों पर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश दिनांक 21.11.2013 के संदर्भ में सहारा ग्रुप ऑफ कम्पनीज़ की चल-अचल सम्पत्तियों के हस्तान्तरण / व्ययन पर अनुमति न होने तदोपरान्त संशोधित आदेश दिनांक 03.08.2016 के संदर्भ में अचल सम्पत्तियों के विक्रय करने की अनुमति होने पर भी सम्पतियों को बेचकर / गिरवी रखकर अथवा किसी अन्य व्यवस्था से प्राप्त धनराशि को सहारा-सेबी एकाउन्ट में जमा करने के सम्बन्ध में आदेश दिया है, उसमें से एक भी रूपया किसी के भुगतान में, अपने खर्चों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है, जिसके कारण उक्त निवेशित धनराशि एवं लाभ सोसाइटी को प्राप्त नहीं हो पा रहे हैं तथा भुगतान में विलम्ब होने के अन्य कारणों में एक कारण यह भी है कि सोसाइटीज के व्यवसाय करने पर सेन्ट्रल रजिस्ट्रार ऑफ को-ऑपरेटिव सोसाइटीज, नई दिल्ली द्वारा अस्थायी रोक भी लगा दी गयी है जिसका प्रकरण माननीय उच्च न्यायालय नई दिल्ली में लंबित है। उक्त परिस्थितियों के उपरान्त भी सोसाइटी अपने सम्मानित निवेशकर्ताओं का अन्य स्रोतों से प्राप्त अल्प धनराशि से थोड़ा-थोड़ा करके भुगतान कर रही है।
गौरतलब है कि वर्तमान के कुछ वर्षों (सहारा सेबी विवाद के पूर्व ) को छोड़कर सोसाइटीज अपने निवेशकर्ताओं के प्रति अपनी वचनबद्धता एवं समय से भुगतान के लिए जानी जाती रही हैं. और आज भी दृढसंकल्पित है कि अपने सम्मानित निवेशकों की समय से सेवा कर पायें। अभी तक सहारा की मय ब्याज रु. 25,000 करोड़ से ज्यादा की धनराशि सहारा-सेबी रिफण्ड एकाउन्ट में जमा है। उक्त के अतिरिक्त उच्चतम् न्यायालय के द्वारा सेबी को यह आदेश दिया गया था कि वह सहारा की दो कम्पनियों के निवेशकों का सत्यापन कर उनका भुगतान करे, परन्तुसेबी के द्वारा सम्पूर्ण देश भर में राष्ट्रीय और स्थानीय समाचार पत्रों के 152 विभिन्न संस्करणों के माध्यम से अगस्त-2014 सितम्बर 2014 दिसम्बर 2014 एवं जून 2018 में विज्ञापन देने के बावजूद विगत 9 वर्षों में केवल रू. 125.18 करोड़ (ब्याज सहित) का ही भुगतान हमारे सम्मानित निवेशकर्ताओं को किया गया है। यहां यह भी बताना आवश्यक है कि सेबी के द्वारा जुलाई-2018 से सम्मानित निवेशकों का भुगतान हेतु आवेदन लेना भी बन्द कर दिया गया है। सहारा प्रबन्धन एवं सोसाइटी प्रबन्धन द्वारा समय-समय पर अपनी इन परिस्थितियों को सभी सम्मानित जन प्रतिनिधियों, सम्मानित प्रशासनिक अधिकारियों, सम्मानित पुलिस अधिकारियों एवं अपने सम्मानित निवेशकों को पत्र एवं समाचार पत्रों के माध्यम से अवगत कराया जाता रहा है। हमारे उपरोक्त कथन की प्रमाणिकता इस बात से होती है कि सहकारिता मंत्रालय के माननीय कैबिनेट मंत्री अमित शाह की पहल पर सहकारिता मंत्रालय ने उच्चतम् न्यायालय, नई दिल्ली के द्वारा डब्ल्यू0पी0 (सी) 191 / 2022 (पिनक पानी मोहती बनाम भारत संघ) में उच्चतम् न्यायालय ने दिनांक 29.03.2023 को अपने आदेशानुसार माननीय न्यायमूर्ति सुभाष रेड्डी जी (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है जिसमें कि एक न्यायमित्र गौरव अग्रवाल व सहकारी समितियों के केंद्रीय रजिस्ट्रार भी शामिल हैं तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने निर्धारित समय सीमा के भीतर सहारा समूह की समितियों के सम्मानित जमाकर्ताओं को भुगतान किये जाने का निर्देश दिया है। साथ ही साथ सहारा-सेबी रिफंड खाते में जमा धनराशि से रू. 5000 करोड़, सेन्ट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज़ (सी.आर.सी.एस.) के खाते में सोसाइटीज़ के सम्मानित जमाकर्ताओं के भुगतान हेतु स्थानांतरित करने का भी निर्देश दिया गया था तथा वर्तमान में उक्त धनराशि सेन्ट्रल रजिस्ट्रार को हस्तान्तरित भी कर दी गयी है। वर्तमान में माननीय उच्चतम न्यायालय के उक्त निर्णय दिनांक 29.03.2023 के अनुपालन में सहारा समूह की सोसाइटियों के निवेशकों / जमाकर्ताओं को भुगतान कराये जाने की ऑनलाइन प्रक्रिया प्रक्रियाधीन है तथा सम्मानित जमाकर्ताओं को जल्द से जल्द भुगतान हेतु सेन्ट्रल रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (सी.आर.सी.एस.) द्वारा सम्मानित जमाकर्ता के आवेदन / रिफंड के दावे के आमंत्रण हेतु पोर्टल तैयार किया जा रहा है। सहकारिता मंत्रालय द्वारा दिनांक 29.05.2023 को अपने अधिकारिक वेबसाइट पर नोटिफिकेशन/ सर्कुलर के तहत एक ई-मैगजीन के पृष्ठ संख्या 25 पर आम जनमानस के समक्ष यह संदेश जारी किया कि-
सहकारिता मंत्रालय के प्रयासों से उच्चतम न्यायालय के आदेश दिनांक 29 मार्च, 2023 के अनुपालन में एक समय सीमा के भीतर सभी जमाकर्ताओं का भुगतान किया जाना है। इस सम्बंध में, जमाकर्ताओं से मूल जमा प्रमाणपत्रों सहित उपयुक्त केवाईसी के साथ पोर्टल एवं अन्य माध्यमों से आमंत्रित किये जाने की प्रक्रिया प्रगति पर है। इस संबंध में पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी की अध्यक्षता में 2 बैठकें एवं सचिव (सहकारिता) की अध्यक्षता में समितियों, स्टॉक होल्डिंग डॉक्यूमेंट मैनेजमेंट सर्विसेज लिमिटेड (एस.डी.एम.एस.एल.) के साथ बैठकें की जा चुकी हैं, जिसमें समितियों का उनके पास उपलब्ध डेटाबेस को एस.डी.एम.एस.एल. के साथ साझा करने का निर्देश दिया गया है। इस क्रम में सीआरसीएस द्वारा सहारा रिफंड के लिए एक पृथक प्रकोष्ठ न्यू डेल्ही म्यूनिसिपल काउंसिल द्वारा उपलब्ध कराई गई जगह पर शीघ्र ही स्थापित किया जाएगा। प्रत्येक समिति में एक विशेष कार्याधिकारी (ओ.एस.डी.) नियुक्त किये गये हैं।”सहकारिता मंत्रालय के द्वारा दिनांक 20.06.2023 को राजपत्रित गजट जारी करते हुए यह भी अवगत कराया गया है कि भुगतान हेतु सहारा सोसाइटीज के निवेशकों का वेरीफिकेशन आधार से लिंक मोबाइल नम्बर के माध्यम से किया जायेगा। वर्तमान में हुई उपरोक्त प्रगति इस बात की परिचायक है कि जो तथ्य सहारा प्रबन्धन एवं सोसाइटी प्रबन्धन के द्वारा समय-समय पर रखे हैं वह प्रमाणित हैं और अब सम्मानित जमाकर्ताओं के भुगतान की शुरुआत सहकारिता मंत्रालय के द्वारा की जा रही है।

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