अलिपोव ने की भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में रूस की अहम भूमिका की सराहना

नई दिल्ली, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलिपोव ने शनिवार को ‘कॉस्मोनॉटिक्स डे’ के अवसर पर भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में रूस की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि सोवियत संघ और रूस की अंतरिक्ष खोजों में नेतृत्वकारी भूमिका रही है और इसका सीधा लाभ भारत को भी मिला है।

इस मौके पर नई दिल्ली स्थित रूसी सांस्कृतिक केंद्र ‘रूसी हाउस’ में रूस के अंतरिक्ष कार्यक्रम के संस्थापकों, वैज्ञानिक कॉन्सटैंटिन त्सिओल्कोवस्की, अंतरिक्ष यान डिजाइनर सर्गेई कोरोलेव और पहले अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन को समर्पित एक स्मारक का उद्घाटन किया गया। इस कार्यक्रम में अलिपोव ने भाग लिया और अपने भाषण में भारतीय और रूसी अंतरिक्ष सहयोग को लेकर विस्तार से चर्चा की।

राजदूत अलिपोव ने 1984 में पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान का विशेष रूप से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह उड़ान भारत और रूस के बीच मजबूत अंतरिक्ष सहयोग का प्रतीक है। उन्होंने यह भी बताया कि आज दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान में कई बड़े संयुक्त प्रोजेक्ट चल रहे हैं।

इस अवसर पर रूस की अंतरिक्ष एजेंसी के भारत कार्यालय की प्रमुख एलेना रेमिजोवा, रूसी अंतरिक्ष यात्री और ‘हीरो ऑफ द रशियन फेडरेशन’ डेनिस मतवेएव और इसरो के अधिकारी राजीव कुमार जायसवाल भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम में रूसी फिल्म ‘चैलेंज’ भी दिखाई गई, जो इतिहास की पहली ऐसी फिल्म है जिसे अंतरिक्ष में शूट किया गया है। इसके अलावा, अंतरिक्ष यात्री डेनिस मतवेएव ने शून्य गुरुत्वाकर्षण में काम करने के अपने अनुभव साझा किए और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर भी चर्चा की।

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बता दें कि हर साल 12 अप्रैल को ‘अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान दिवस’ मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन 1961 में यूरी गागरिन ने वॉस्टोक अंतरिक्ष यान में पहली बार अंतरिक्ष की उड़ान भरी थी।

साल 2025 में रूस दो ऐतिहासिक अंतरिक्ष उपलब्धियों की वर्षगांठ मनाएगा। पहली, 18 मार्च 1965 को अलेक्सी लियोनोव के द्वारा किया गया पहला ‘स्पेस वॉक’, और दूसरी, 2 जून को बैकोनूर कॉस्मोड्रोम की स्थापना के 70 साल पूरे होंगे, जो आज भी विज्ञान, तकनीक और अंतरराष्ट्रीय मित्रता का प्रतीक बना हुआ है।

–आईएएनएस

एससीएच/सीबीटी

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