ललन पांडे और उमेश जैन का अग्रिम जमानत याचिका खारिज

मामला नारायणपुर मौजा के खाता संख्या 317 कुल रकवा 21 एकड़ में बना रिजाॅट
मीडिया हाउस न्युज एजेंसी बोकारो : मौजा नारायणपुर, थाना पिण्ड्राजोरा, खाता सं0 317, प्लॉट नं० 3589 कुल रकवा 21 एकड़ के मामले में एडीजे वन दीपक बरनवाल के न्यायालय में सुनवाई की गई। आवेदक के तरफ से सीनियर अधिवक्ता एसएन राय ने बहस किया वहीं एपीपी के सर्वेश आनंद सिंह ने विरोध किया और पेपर को फर्जी बताया। न्यायालय ने कागजात फर्जी पाते हुए ललन पांडे और उमेश जैन का अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी।
क्या है मामला : अंचल अधिकारी चास के आदेशानुसार 12 अप्रैल 2025 को पिण्ड्राजोरा
थाना में राजस्व उप-निरीक्षक के द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई थी जिसका एबीपी नंबर 403 केस नंबर 89, अंडर सेक्शन धारा 316(2), 318(4), 338, 336(3),3(5) दर्ज किया गया है। दर्ज एफआईआर में कहा गया कि मौजा नारायणपुर, थाना पिण्ड्राजोरा अन्तर्गत खाता सं- 317 प्लॉट नं-3589, रकवा 2.80 एकड़ भूमि गत सर्वे खतियान में गैर आबाद मालिक किस्म जंगल झाडी के रुप में दर्ज है। उक्त भूमि पर ललन पाण्डेय पिता देवधारी पाण्डेय ) बोकारो स्टील सिटी, बोकारो द्वारा जाली एवं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अंचल कर्मियों की सहभागिता से राजस्व दस्तावेजों में गलत प्रविष्टि कराते हुए सरकारी भू-सम्पदा की क्षति की गई हैं। मौजा नारायणपुर थाना नं0 33, पिण्ड्राजोरा, थाना अन्तर्गत खाता सं0 317, प्लॉट नं0 3589 का कुल रकवा 21 एकड़ हैं, जिसमें से 4.08 एकड़ भूमि अधिसूचित वन भूमि है। शेष 16.82 एकड़ भूमि का स्वामित्व झारखण्ड सरकार के पास हैं। जमींदारी उन्मुलन के उपरान्त वर्ष 1956 में वैसे सभी भूमि जिसका लगान निर्धारण नही किया गया था का स्वामीत्य राज्य सरकार में सन्निहित कर दी गयी हैं। प्रश्नगत का भूखण्ड का जमीनदारी उन्नमूलन के उपरांत न ही जमीदार द्वारा रिर्टन भरा गया हैं एवं न ही किसी भी व्यक्ति के द्वारा उक्त भूखण्ड पर दावा प्रस्तुत किया गया हैं। ललन पाण्डेय पिता देवधारी पाण्डेय एवं अन्य द्वारा जाली एवं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दस्तावेज सं० 149 दिनांक 05.01.1983 को निबंधित कराया गया हैं। विक्रेता को भूमि किस आधार पर प्राप्त हैं इसका उल्लेख राजस्व दस्तावेजों में नही पाया लगा हैं। दस्तावेज सं0 149 दिनांक 05.01.1983 के आधार पर तत्कालीन अंचल कर्मियों की सहभागिता से वर्ष 2015-16 में ललन पाण्डेय पिता देवधारी पाण्डेय के नाम से खाता सं0 317, प्लॉट नं0 3589 रकवा 2.80 एकड़ भूमि का बिना किसी सक्षम प्राधिकार के आदेश से राजस्व दस्तावेजों में कपट पूर्ण प्रविष्टी की गई है। जमींदारी उन्नमूलन के उपरांत वर्ष 1956 से वर्ष 2015 तक उक्त भूमि का लगान रसीद निर्गत नही किया गया हैं। प्रथम लगान रशिद वर्ष 2015-16 में निर्गत किया जाना यह अपने-आप में संदेहास्पद है। उमेश जैन पिता राम जैन और ललन पाण्डेय, पिता देवधारी पाण्डेय के साथ मिलकर जाली एवं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रिजाॅट का निर्माण किया गया है। उमेश जैन द्वारा ललन पाण्डेय के साथ उक्त भूखण्ड का जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) में निबंधित कराया गया हैं। जिसकी कांडिका 14 में किसी भी प्रकार की Development work प्रतिबंधित है। इसके बावजुद भी उमेश जैन के द्वारा रिजॉट का निर्माण किया गया है।
रिजाॅट को किया गया था सील : बोकारो उपायुक्त विजया जाधव के आदेश पर 10 जनवरी को चास एसडीओ प्रांजल ढांडा और चास अंचलाधिकारी दिवाकर दुबे की उपस्थिति में रिजाॅट को सील कर दिया गया था। हाई कोर्ट में दायर किए गए पिटिशन WPC संख्या 1246 आफ 2025 की सुनवाई करते हुए माननीय जस्टिस ने बोकारो की उपायुक्त को उस परिसर के सील को खोल देने का आदेश दिया था जिसके बाद रिजाॅट को खोल दिया गया था। बताया जाता है कि मौजा नारायणपुर, थाना पिण्ड्राजोरा, खाता सं0 317, प्लॉट नं० 3589 कुल रकवा 21 एकड़ मामले को इडी अपने स्तर से जांच -पड़ताल कर खंगालने में जुटी हुई है। अब सवाल यह उठता है कि जिला पुलिस अपराधीयों और दोषियों को पकड़ कर सलाखों को पीछे भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ती है तो आखिर रसूखदार को इतनी छूट क्यों, मेहरबानी के पीछे का सच का कारण क्या है।
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