भारी विरोध के बीच उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति, 2024 विधेयक को पारित

मीडिया हाउस न्यूज एजेंसी लखनऊ-यूपी विधानसभा में बुधवार को योगी सरकार ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच उत्तर प्रदेश नजूल सम्पत्ति, 2024 विधेयक को पारित कर लिया। इस विधेयक को लेकर बीजेपी के अपने विधायकों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह और हर्ष बाजपेयी ने विधेयक में सुझाव के निर्देश दिए। इसके अलावा राजा भैया ने भी नजूल विधेयक की खिलाफत की। इस दौरान उन्होंने कहा कि लोग सड़कों पर आ जाएंगे और हाहाकार मच जाएंगा।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को विधानसभा में नजूल संपत्ति विधेयक 2024 को पेश किया, जिसमें उन्होंने कहा कि नजूल सम्पत्ति पर यह पहला कानून है। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनहित में सार्वजनिक कार्यों के लिए भूमि का प्रबंध करने में काफी वक्त लग जाता है। ऐसे में अब सार्वजनिक कामों के लिए नजूल सम्पत्ति का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि इसमें वन, सिंचाई और कृषि विभाग शामिल नहीं किया जाएगा।

ब्रिटिश शासन काल के दौरान जब राजा-रजवाड़े अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाईयों में हार जाते थे। तब अंग्रेजों द्वारा उनकी जमीन को छीन लिया जाता था। इस प्रकार की जमीनों को ही नजूल सम्पत्ति कहा जाता है। हालांकि भारत की आजादी के बाद ऐसी सम्पत्तियों पर संबंधित राज्य सरकारों के पास अधिकार चला गया। वहीं, सरकार द्वराा ऐसी संपत्तियों का इस्तेमाल सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जिसमें अस्पताल, स्कूल और पंचायत शामिल है। साथ ही ऐसे संपत्तियों का इस्तेमाल बड़े शहरों में हाउसिंग सोसायटी बनाने के लिए किया जाता है।

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संगम नगरी प्रयागराज में सबसे अधिक नजूल भूमि है। यहां कि एक तिहाई शहर ही नजूल भूमि पर बसा हुआ है। सिर्फ शहरी इलाके में करीब एक लाख घर से अधिक मकान नजूल भूमि पर बने हैं। जहां करीब पांच लाख लोग गुजरबसर कर रहे हैं। यही कारण है कि सदन में प्रयागराज के विधायक नजूल विधेयक का विरोध करते हुए नजर आए। प्रयागराज के लूकरगंज इलाके का ज्यादातर हिस्सा नजूल लैंड पर ही बसा हुआ है, जहां अधिकतर मिडिल क्लास के परिवार के लोग रहते हैं। विधेयक पास होने के बाद प्रयागराज के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना द्वारा पारित किए गए नजूल सम्पत्ति विधेयक में यह प्रावधान है कि अगर कोई नजूल सम्पत्ति को पट्टे पर लिया है। अगर वह नियमित रूप से पट्टे के किराए का भुगतान करता है और पट्टा अनुबंध के नियमों का उल्लंघन नहीं करता है, तो अनुबंध का नवीनीकरण कर दिया जाएगा। ऐसे लोगों को 30 साल के लिए पट्टे का नवीनीकरण किया जाएगा। पट्टा अनुबंध का समय पूरा हो जाता है, तो वह फिर सम्पत्ति सरकार के पास आ जाएगी। इसके अलावा अगर पट्टा अवधि के खत्म होने के बाद नजूल जमीन का उपयोग कर रहा है, तो उसके पट्टे के किराये का निर्धारण जिलाधिकारी द्वारा किया जाएगा।

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