जिंदगी जीने की चाह जहां खत्म हो जाती है तो ब्यक्ति आत्महत्या का रास्ता अपनाता है : डाॅ प्रशांत
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झारखंड में अब तक 18 जवानों ने की आत्महत्या
परिवार में टूटन के कारण नाउम्मीदी के भवर में फंसा ब्यक्ति मानसिक तनाव से हो जाता है ग्रसित
मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 30ता० संवाददाता अनिल चौधरी,बोकारो। झारखंड में लगातार बढ रहे आत्महत्या के मामले चाहे वह अर्धसैनिक बल के जवान हो या फिर जिला पुलिस या फिर नव युवा आजकल के जेनरेशन की हो हर समय अखबारों में पढने और न्यूज के माध्यम से देखने को मिलता है। लगातार बढ रहे आत्महत्या के कारणों को लेकर मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी के संवाददाता ने बोकारो के मनो रोग विशेषज्ञ प्रशांत कुमार से खास बातचीत की तो उन्होंने बताया की आत्महत्या जब भी कोई व्यक्ति करता है तो जीवन खत्म करने की चाह नही होती है जिंदगी जीने की चाह खत्म हो जाती है। वह व्यक्ति नाउम्मीदी के भवर में फंस गया होता है। ऐसा अक्सर हम नोटिस करते है की समाज में जो टूटन है परिवार में जो टूटन तनाव, परिवारिक घुटन है आर्थिक समस्या है। कई ऐसे सारे कारण है जिससे आत्महत्या करने का वजह का कारण बनती है। प्रमुखता में मनोभाव में परिवर्तन आना, अनियमित दिनचर्या का होना, ब्यवसन का सेवन ,मादक पदार्थों का सेवन करना और पारिवारिक जो टूटन है जिसे सपोर्ट सिस्टम खत्म हो जाता है। जो व्यक्ति को बार-बार गुस्सा आ रहा है वह अपना आपा खो रहा हो या बार -बार किसी से बदला लेने की बात कह रहा हो तथा वह कह रहा हो की मैं अपनी जिंदगी से बहुत निराश हूं जिंदगी बहुत बोझिल हो चुकी है या किसी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है या फिर किसी से बातचीत करना बंद कर दिया है या पहले मादक पदार्थों का सेवन नहीं करता था अब करने लगा है या फिर करता था अब अधिक मात्रा में करने लगा है तथा अपनी चीजे लोगों को बांटने की कह रहा है तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति के मनोभाव में परिवर्तन हो रहा है तो ऐसे ब्यक्ति तक अगर हम उचित प्रोफेशनल हेल्प पहुंचा सके तो मुझे लगता है की ऐसी घटना कम हो जाएगी। खुशी की बात है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया है उस पर 24 घंटे सातों दिन काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध रहती है 14416 इसका नंबर है यह नंबर सभी तक पहुंचना चाहिए जिससे लोगो को प्रोफेशनल हेल्प जल्द से जल्द पहुँचाई जा सके। और जिनको ऐसे मनोभाव आ रहे हैं उनको पहचान कर तत्काल उसका निदान करें, सामाजिक रूप से एक जुड़ाव की प्रक्रिया चालू करें, और ऐसे व्यक्ति को मुखर होने की सलाह दी जाए जिससे अपनी बात खुलकर कह सके तो ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सकती है। बता दें झारखंड राज्य में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की आत्महत्या करने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। बीते तीन वर्षों में राज्य के विभिन्न इलाकों में तैनात केंद्रीय अर्धसैनिक बल के कुल 18 जवानों ने खुद को गोली मारकर या फंदे से लटक कर जान दे दी है। जवानों की आत्महत्या के पीछे घरेलू समस्या, बीमारी, वित्तीय समस्या और मानसिक तनाव की बातें सामने आई हैं। अभी हाल ही मे 27 दिसंबर को रांची के खलारी थाना क्षेत्र के एनके एरिया स्थित सीआईएसएफ कैंप में एक जवान बीएन वर्मा ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली और 26 दिसंबर को बोकारो जिले के रहावन कैंप में सीआरपीएफ 26 बटालियन के एक जवान ने सर्विस राइफल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। 27 नवंबर को गुमला के सिलम में 218 सीआरपीएफ बटालियन कैंप में तैनात सीआरपीएफ के हवलदार संजय कुमार ने एके 47 से खुद को गोली मारकर जान दे दी थी। 07 अक्टूबर को पलामू जिले में सीआरपीएफ के ही जवान प्रांजल नाथ ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। 19 अगस्त को लोहरदगा जिले में सीआरपीएफ 158 बटालियन के जवान ने खुदकुशी कर ली है। घटना लोहरदगा जिले के सुदूरवर्ती पेशरार थाना क्षेत्र के केकरांग सीआरपीएफ कैंप में हुई थी। 10 जुलाई को पलामू के चियांकी 112 बटालियन में तैनात सीआरपीएफ के एक जवान ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। 06 जनवरी को पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) के गोईलकेरा में सीआरपीएफ के जवान ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या की थी। 08 अक्टूबर, 2022 को लातेहार में सीआरपीएफ के जवान ने खुद को गोली मार ली थी, जिसमें उसकी जान चली गई। 19 सितंबर, 2022 को धनबाद में सीआरपीएफ जवान ने छत से कूदकर जान दे दी थी।-27 अगस्त, 2022 को पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर में सीआरपीएफ के जवान अजीत पाठक ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। 26 मई, 2022 को गिरिडीह पंचायत चुनाव की ड्यूटी में बगोदर आये एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवान ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। 08 फरवरी, 2022 को धनबाद के चासनाला निवासी सीआईएसएफ के जवान सारथी नंदन झा ने खुदकुशी की थी। 31 दिसंबर, 2021 को लोहरदगा के चैनपुर पिकेट में तैनात सीआरपीएफ के जवान दिलीप कुमार ने खुद को गोली मारकर जान दे दी थी। 27 जुलाई, 2021 को हजारीबाग जिले में मेरु में सीमा सुरक्षा बल के जवान कमलेश सिंह ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली थी। 9 जुलाई, 2021 को गिरिडीह के मधुबन में सीआरपीएफ के जवान रतन दास ने गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। 8 जून, 2021 को चतरा जिले के सिमरिया थाना क्षेत्र के बेलगडा कोरोना आइसोलेशन सेंटर में सीआरपीएफ 190वीं बटालियन के एक जवान ने पहले साथी को और फिर खुद को गोली मार ली थी। 31 मई, 2021 को हजारीबाग में बीएसएफ के एक जवान ने खुदकुशी की थी। 26 फरवरी, 2021 को गुमला में सीआरपीएफ जवान ने अपनी ही रायफल से खुद को गोली मारकर की आत्महत्या कर ली थी। इस का कारण चाहे जो भी हो पर यह देश और समाज के लिए बहुत ही बड़ी बात है इस तरह से जवानो की आत्महत्या से देश और समाज एक अच्छे जवान तो खोहि रहा है साथ मे इससे उन युवको का मनोबल भी कहीं ना कहीं कमजोर हो रहा है जो केन्द्रीय बल मे अपनी सेवा देने की इच्छा रखते है इस तरह की घटनाओं पर सरकार को सभी केन्द्रीय व राज्य के सुरक्षा बलों के लिए सजगता दिखाते हुए कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे जवानो की आत्महत्या जैसी वारदात रोकी जा सके।
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