संध्याकाल में डूबते भगवान भास्कर को भक्तो ने दिया अर्ध्य

मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी बोकारो : सेक्टर वन बी तिरंगा पार्क छठ घाट पर छठ व्रतियों ने संध्याकाल में डुबते हुए भगवान भास्कर को जल अर्पित किया। जगह जगह समाजसेवी और लोगो द्वारा भगवान भास्कर और छठी मैया की श्रध्दा भक्ति में
प्रसाद का वितरण किया गया। तिरंगा पार्क के मुख्य गेट समीप 1996 बैंच के सेक्टर वन बी हाई स्कूल ग्रुप के लोगो ने नारियल, सेव ,अगरबत्ती सहित पुजा समानों का  शेखर,सुमन , रंजित,ब्रिज,संजीव कुमार ओझा,गणेश,बलवंत आदि लोगो ने फल का वितरण किया।
.…..चार दिन के इस महापावन पर्व में छठ पर्व के आज तीसरे दिन संध्याकाल में सूर्यदेव को पहला अर्घ्य दिया गया, भक्तगण तालाबों-नदियों के पानी में खड़े होकर भगवान भास्कर को जल अर्पित किए और उनसे घर-परिवार को सुखी और स्वस्थ बनाने की प्रार्थना की भारतीय संस्कृति में सूर्य देवता की पूजा एवं अर्घ्य अर्पण का एक विशेष महत्व है।हमारे यहां केवल छठ पूजा में ही नहीं बल्कि आम पूजा में भी सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परंपरा रही है सूर्य को अर्घ्य देना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि इसे वैज्ञानिक भी काफी अहम मानते हैं। उनका कहना है कि सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर तो स्वस्थ रहता ही है क्योंकि सूर्य की किरणें इंसान की शक्ति के लिए काफी अच्छी होती हैं तो वहीं ये इंसान के मन को भी मजबूत बनाती है क्योंकि ये सकारात्मकता का पर्याय है और नकारात्मक ऊर्जा दूर करती है।
सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा : सूर्य को जल अर्पित या “अर्घ्य देना”एक प्राचीन और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यह प्रथा भगवान सूर्य को सम्मान, आभार और उनके प्रकाश और ऊर्जा के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का एक तरीका है। मान्यता है कि इससे हमारे पूर्वजों को भी संतुष्टि प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद हमारे साथ बना रहता है। शाम के सूर्य अर्घ्य का सीधा संबंध धन, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्राप्ति से भी जोड़ा गया है। विशेषकर कार्तिक मास में सूर्य को शाम का अर्घ्य देने से पवित्रता और पुण्य की प्राप्ति होती है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
• मानसिक शांति: शाम के समय सूर्य अस्ताचलगामी होता है, जिसका अर्थ है कि दिन का अंत और रात का प्रारंभ। इस समय में अर्घ्य देने से मानसिक शांति और तनाव मुक्ति मिलती है।
आध्यात्मिक ऊर्जा: शाम के सूर्य को अर्घ्य देने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो हमारे मन और शरीर को आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है।
धन और समृद्धि: ऐसा माना जाता है कि शाम को सूर्य को अर्घ्य देने से लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है और धन की वृद्धि होती है। शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देना हमारे कर्मों को सुधारने में भी सहायक माना जाता है।

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