सूर्य देवता को अर्घ्य देने के आस्था का महापर्व छठ पूजा का हुआ समापन

मीडिया हाउस चोपन/सोनभद्र –नहाय खाय से शुरू हुआ आस्था का महापर्व छठ पूजा के आज चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया। सोनभद्र में भी छठ पूजा का महापर्व विधि विधान और शांति से सम्पन्न हुआ। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है, इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है। चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।
चार दिन का महापर्व छठ पूजा का समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ के व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले लोग सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद सूर्य देव और छठ माता से संतान के सुखी जीवन और परिवार की सुख-शांति और सभी कष्टों को दूर करने की कामना करते हैं। ऊषा अर्घ्य के बाद घाट पर ही प्रसाद का वितरण किया जाता है और घाट पर मौजूद श्रद्धालु श्रद्धा के साथ प्रसाद की मांग करते है।
चोपन में छठ घाट पर आए श्रद्धालुओं ने छठ पर्व पर घाट की सुंदरीकरण और सफाई की व्यवस्था को बहुत बेहतर बताया और कहा की हर बार सोनभद्र का प्रसिद्ध चोपन छठ घाट पर साल दर साल व्यवस्था बेहतर होती जाती है जो अद्भुत नजारा को जन्म देती है। नगर पंचायत चोपन लगभग एक महीनों से नगर वासियों के लिए जीतोड़ मेहनत करती है। अध्यक्ष के साथ कर्मचारी और सफाईकर्मियों की दिन रात की मेहनत रंग लाती धरातल पर दिखती है। सुरक्षा को लेकर जिला प्रशासन और चोपन पुलिस भी छठ महापर्व के दौरान मुस्तैद रहती है और अप्रिय घटना से बचाने के लिए चपे-चपे पर नज़र रखती है।
साथ ही नाव से भी घाट क्षेत्र की मॉनिटरिंग होती है और गोताखोरों की टीम भी लगी रहती है। वही सिंदुरिया गांव स्थित रेण नदी घाट पर भी आस्था का महापर्व छठ पूजा बड़ी धूम धाम से मनाई गई। जहां ग्राम प्रधान राम नगीना के नेतृत्व में छठ घाट पर व्यवस्थित व्यवस्था की गई थी। सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन पूजा के दौरान चक्रमण कर सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करती नज़र आई। छठ घाट पर पूरी रात छठ मईया की बजती गीत व धुन ने सभी को बांधे रखा। आस्था का महापर्व छठी मईया के पूजा के महत्व के बारे में पूर्व प्रधान राम नारायण पांडेय ने बताया कि, यह पर्व इस बात का प्रतीक है कि किसी को घबराना नहीं चाहिए। जीवन में सभी परिस्थितियां आती हैं, इनका अच्छे से सामना करना चाहिए। छठी मईया का व्रत को रखने से व्यक्ति को संतान, सुख-शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। सभी व्रत की तरह ही 36 घंटे बाद छठ के व्रत का पारण भी बेहद महत्वपूर्ण है। इसे भी एक सही विधि-विधान से खोला जाना चाहिए। व्रत का भगवान की आस्था के साथ ही सेहत से जुड़ा होना है। छठ पर्व के चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घाट का पूजन जरूर करना चाहिए और बड़ें-बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। व्रती को इस मौके पर घर के बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ ही छठी मईया को अर्पित किया गया प्रसाद सभी को बांटना चाहिए। मान्यता है कि छठी माता का प्रसाद जितना ज्यादा बांटा जाएगा, व्रत का परिणाम उतना ही ज्यादा शुभ और फलदायक होता है।