खबर का असर : भतुआ के जंगलो में अवैध बालू भंडारण पर कारवाई करने को लेकर वन प्रमंडल ने सेल निदेशक को लिखा पत्र।

मीडिया हाउस न्यूज एजेंन्सी 09ता०बोकारो। बोकारो जिले के भतुआ के जंगलों में अवैध बालू भंडारण को लेकर वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने पत्र जारी किया है। बता दे की एक नंवबर को छपी खबर, कर रहे है माफिया नदियों से बालू का उठाव व जंगलों में स्टॉक के प्रकाशन के बाद वन प्रमंडल ने पत्र जारी कर सेल निदेशक से जंगलों में हो रहे अवैध बालू भंडारण पर कार्रवाई करने की बात लिखी है। वन प्रमंडल के पत्र के आलोक में कहा गया कि मौजा भतुआ नं0-21 के अधिसूचित वनभूमि आपके प्रशासनिक नियंत्रण में है भौजा भतुआ नं0-21 के अधिसूचित वन प्लॉट सं0-431, 398, 191, 397, 372, 274, 314, 415, 5017, 4554, 4558, 335, 3358 3350, 3349, 3488 3619 एवं 396 अभी भी अक्षत एवं अखण्डित वनभूमि है सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार 1980 के पूर्व अखण्डित वनभूमि पर वर्ष 1980 के बाद किसी भी प्रकार का गैर वानिकी कार्य किये जाने हेतु भारत सरकार की पूर्वानुमति आवश्यक है। बता दें की 26 अक्टूबर एवं दिनांक 27 अक्टूबर को वन विभाग, पुलिस एवं खनन विभाग द्वारा संयुक्त छापामारी की गई थी। डीएमओ द्वारा बताया गया कि उक्त स्थल पर बालू का अवैध भण्डारण किया हुआ है जिसके विरूद्ध कार्रवाई माइनिंग एक्ट के तहत भी कर दी गई है। अक्षत वनभूमि पर बालू का अवैध भण्डारण गैर वानिकी कार्य है, जो वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 का उल्लंघन है। लगभग 2-3 एकड़ वनभूमि पर बिना भारत सरकार की पूर्वानुमति के गैर वानिकी कार्य किया गया है। वन प्रमंडल ने जारी पत्र में सेल निदेशक से कहा है की अतः स्पष्ट करें कि क्यों नहीं माना जाए की आपके प्रशासनिक नियंत्रण वाले अक्षत वनभूमि पर हुए वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के उल्लंघन में आपकी विफलता / मिलीभगत मानी जाए। शीघ्र उपरोक्त वनभूमि पर अवैध भण्डारण / अतिक्रमण / गैर वानिकी कार्य को हटाया जाए तथा वनभूमि को शीघ्र अपने पुराने स्वरूप में लाया जाय। वैसे वनभूमि जो 1980 के पूर्व उपयोग में नहीं लाए गए, उस पर 1980 के बाद भारत सरकार की अनुमति के बगैर कोई भी गैर वानिकी कार्य नहीं किया जा सकता है।

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